अहमदाबाद : गुजरात 2002 दंगा मामले में नानावटी आयोग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दी है। नानावटी आयोग ने विधानसभा में इस मामले से जुड़ी रिपोर्ट पेश की। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि तत्कालीन मंत्री हरेन पंड्या, भरत बारोट और अशोक भट्ट की किसी भी तरह की भूमिका साफ नहीं होती है। रिपोर्ट में अरबी श्रीकुमार, राहुल शर्मा और संजीव भट्ट की भूमिका पर सवाल खड़े किए गए हैं।
आयोग ने 1,500 से अधिक पृष्ठों की अपनी रिपोर्ट में कहा कि, ऐसा कोई भी सबूत नहीं मिला कि राज्य के किसी मंत्री ने हमलों के लिए उकसाया या भड़काया हो। हालांकि कुछ जगहों पर भीड़ को नियंत्रित करने में पुलिस अप्रभावी रही क्योंकि उनके पास पर्याप्त संख्या बल नहीं था। आयोग ने अहमदाबाद शहर में साम्प्रदायिक दंगों की कुछ घटनाओं पर कहा, पुलिस ने दंगों को नियंत्रित करने में सामर्थ्य, तत्परता नहीं दिखाई जो आवश्यक था। नानावती आयोग ने दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जांच या कार्रवाई करने की सिफारिश की है।
बतादे कि, साल 2002 में राज्य के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी ने दंगों की जांच के लिए आयोग को गठित किया था। दंगे गोधरा रेलवे स्टेशन के समीप साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन की दो बोगियों में आग लगाए जाने के बाद भड़के थे। जिसमें 59 ‘कारसेवक’ मारे गए थे। इन दंगों में राज्य में करीबन 1000 से अधिक लोग मारे गए थे। जिनमें से अधिकतर अल्पसंख्यक समुदाय के थे। राज्य के गृहमंत्री प्रदीपसिंह जडेजा ने आयोग की रिपोर्ट पेश कर दी है।